तेरी आँख का आँसूं या कोई ख़्वाब मैं बनूँगा,
जाने कब तेरे किसी सवाल का जवाब मैं बनूँगा।
रुख़्सत से तेरी बेख़बर रहे ये दुनिया सारी,
पर्दादारी की ख़ातिर तेरा हिज़ाब मैं बनूँगा।
बेदार है आँखें जिन्हें मयस्सर नहीं ख़्वाब तुम्हारे,
तू नींद का आसमां है आवारा रबाब मैं बनूँगा।
तुझी में ढूंढे जब भी नज़र कोई ढूंढे मुझे,
गर कुछ बनूँगा तो यक़ीनन तेरा नक़ाब मैं बनूँगा।
Amit Valmiki
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