ये कशिश है तुम्हारी,
जो इतनी रफ़क़्क़त है तुमसे
ये कोशिश है हमारी,
काश तुम्हे मोहब्बत हो हमसे....
सफ़ेद कागज़ गवाह है
मेरे खालीपन का,
मेरी ज़ीस्त एक दास्तान है,
जिसकी हर्फ़-ओ-इबारत है तुमसे....
तुम तमाम आँखों का,
कोई हसीं ख्वाब थी, टूट गयी
अब काश तुम्हारे इन
खास्ता ख़्वाबों की हिफाज़त हो हमसे.....
बन गया है रिश्ता, वैसे तो
तेरे मेरे दरमियान, बेनाम ही सही
हिम्मत करके मैं इसे मोहब्बत का नाम दे दूँ
इश्क़ के नशे में धुत,
काश ये शरारत हो हमसे....
कुछ हो न हो,
सजदे में दुआ है यही
काश तुम्हे मोहब्बत हो हमसे..
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