मुमकिन नहीं यक़ीन करना इस बात पे,
जिसे मुमकिन नहीं समझा था हर हालात में।
बनकर सच्च, ख्यालों से बहार आकर
वो लड़की मेरे सामने खड़ी है,
मेरी मोहब्बत का कोई सुहाना अक्स बनकर।
तस्वीर है उसकी पलकों में क़ैद,
ज़हन के हवाले कर चूका हूँ,
अब हर ख़याल मैं उसका।
आज के बाद, मेरी सोच में वो होगी
मेरी बात में वो होगी।
दरबदर ढूंढती मेरी आवारा नज़रों की,
फ़िराक़ में वो होगी।
यकीन नहीं ज्यादा, मगर थोड़ी उम्मीद है ज़रूर
इस दुनिया से रिहा हो कर, एक दिन
वो लड़की मेरी किस्मत में होगी।
लेकिन शर्थ है ये मेरी मुझसे,
वो जहां भी हो,
चाहे मेरी हो या न भी हो,
सदा वो मेरी मोहब्बत में होगी, अगर
नहीं वो कभी मेरी किस्मत में होगी.....
Amit Valmiki
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