Meri zubaan pe hai jo, woh lafz hai tera
Aye khuda meri ghazal ka har harf hai tera.

Saturday, 14 May 2016

Khwaab Series

मेरी मोहब्बत को तुम मेरी जरुरत मत समझना,
मेरा ख़्वाब हो तुम, खुदको हक़ीक़त मत समझना।

Amit Valmiki

Tuesday, 15 March 2016

She'r

लोग कहते हैं आजकल मैं कुछ नहीं करता,
बेख़बर हैं इस बात से मैं तुम्हे प्यार करता हूँ।

Amit Valmiki

Friday, 12 February 2016

मैं बनूँगा.....

तेरी आँख का आँसूं या कोई ख़्वाब मैं बनूँगा,
जाने कब तेरे किसी सवाल का जवाब मैं बनूँगा।

रुख़्सत से तेरी बेख़बर रहे ये दुनिया सारी,
पर्दादारी की ख़ातिर तेरा हिज़ाब मैं बनूँगा।

बेदार है आँखें जिन्हें मयस्सर नहीं ख़्वाब तुम्हारे,
तू नींद का आसमां है आवारा रबाब मैं बनूँगा।

तुझी में ढूंढे जब भी नज़र कोई ढूंढे मुझे,
गर कुछ बनूँगा तो यक़ीनन तेरा नक़ाब मैं बनूँगा।

Amit Valmiki

Monday, 8 February 2016

I'll Dance ~ The Sufi Poem

I really don't know how to dance,
But, If you will forward your hand towards me,
I'll dance....

Without knowing the way, I'll move my steps
Being in intoxication of your eyes.
Engulfing the bowl of elixir that I find in them....
I'll dance....

Without any melodious track and instrumental harmony,
I will allow my soul to merge into yours, and stay there
I'll dance....

I really don't know to write poems,
But here, in your separation.
Having no one
With whom I shall discuss the joy
Of being in your illusion,
I have started writing my ecstasy
In forms of poetry.
Juxtaposing each and every word with your name,
I'll dance....

I am a dreamer of you,
Now, I am a man who is new
Missing myself in me.
You are living into the me.

Why, so departed?
come, here in my dreams.
I am awaited to fall asleep
come soon,
In my dream
I promise you,
I shall not escape from this prison of dream,
Being with you atleast in the world of dream, I'll feel the gaiety.
And;
I'll dance....

Sunday, 7 February 2016

काश तुम्हे मोहब्बत हो हमसे

ये कशिश है तुम्हारी,
जो इतनी रफ़क़्क़त है तुमसे
ये कोशिश है हमारी,
काश तुम्हे मोहब्बत हो हमसे....

सफ़ेद कागज़ गवाह है
मेरे खालीपन का,
मेरी ज़ीस्त एक दास्तान है,
जिसकी हर्फ़-ओ-इबारत है तुमसे....

तुम तमाम आँखों का,
कोई हसीं ख्वाब थी, टूट गयी
अब काश तुम्हारे इन
खास्ता ख़्वाबों की हिफाज़त हो हमसे.....

बन गया है रिश्ता, वैसे तो
तेरे मेरे दरमियान, बेनाम ही सही
हिम्मत करके मैं इसे मोहब्बत का नाम दे दूँ
इश्क़ के नशे में धुत,
काश ये शरारत हो हमसे....

कुछ हो न हो,
सजदे में दुआ है यही
काश तुम्हे मोहब्बत हो हमसे..

Friday, 5 February 2016

एक ख्याल उसका फिर.....

मुमकिन नहीं यक़ीन करना इस बात पे,
जिसे मुमकिन नहीं समझा था हर हालात में।
बनकर सच्च, ख्यालों से बहार आकर
वो लड़की मेरे सामने खड़ी है,
मेरी मोहब्बत का कोई सुहाना अक्स बनकर।

तस्वीर है उसकी पलकों में क़ैद,
ज़हन के हवाले कर चूका हूँ,
अब हर ख़याल मैं उसका।
आज के बाद, मेरी सोच में वो होगी
मेरी बात में वो होगी।
दरबदर ढूंढती मेरी आवारा नज़रों की,
फ़िराक़ में वो होगी।

यकीन नहीं ज्यादा, मगर थोड़ी उम्मीद है ज़रूर
इस दुनिया से रिहा हो कर, एक दिन
वो लड़की मेरी किस्मत में होगी।
लेकिन शर्थ है ये मेरी मुझसे,
वो जहां भी हो,
चाहे मेरी हो या न भी हो,
सदा वो मेरी मोहब्बत में होगी, अगर
नहीं वो कभी मेरी किस्मत में होगी.....

Amit Valmiki

Sunday, 26 July 2015

Khalish Series #

चलो अच्छा हुआ जो मेरे अश्क़ सभी बह गए,
जुबां पर ठहरे लफ्ज़ हम आँखों से कह गए।
तुम तो ख़ुशियों का दामन थाम कर कहीं चले दिए,
और इक हम दर्द की ऊँगली थामे वहीँ रह गए।

~ Amit