Meri zubaan pe hai jo, woh lafz hai tera
Aye khuda meri ghazal ka har harf hai tera.

Friday 31 October 2014

Khalish E Mohabbat

Chaand aur Suraj kyun ek dusre se behad duur rehte hain,
Kabhi inke bich bhi mohabbat thi, aisa saiyaare kehte hain.

Mohabbat hoti hi kyun hai, jab mukammal nahi hoti,
Kehte hain jo mohabbat hai javedaan, beshak woh bharam mein rehte hain.

Hai mohabbat agar koi paak karam toh yeh bata 'Muntazar'
Kyun mohabbat karne wale aashique itne zulam sehte hain.

~ Amit Muntazar

Just-4-Fun post 1

Woh kehti hai meri shayari ab uske liye sar dard hai,

Phir bhi main use shayari bhejna band nahi karunga.

Lekin han itna ehsaan kar sakta hun ke,
ab se lifaafe mein shayari ke saath ek saridon ki goli jaroor bhejunga

Wednesday 8 October 2014

Poetry - Endangered Here

मुंबई जैसे शहर में अब शायरों की क़दर नहीं,
यहाँ इंसान के दिल में जस्बातों की बसर नहीं।

सब तो मसरूफ़ हैं यहाँ दौलत की तामीर बनाने में,
कौन 'मिर', कौन 'मिर्ज़ा' यहाँ किसी को ख़बर नहीं।

समझते नहीं मतलब किसी सरल 'मक़्ते' का ये,
नासमझ इन लोगों पर मेरे हर्फों का कोई असर नहीं।

'कामिल', 'क़ादरी', 'कुमार', लिख सके कोई इंसा ,
साहित्य से परेह हैं यहां लोग इनमे इतना हुन्नर नहीं।

अब चंद ही यहां हैं तेरी तरह बचे शायर 'अमित'
नज़्मों की परंपरा बचा सके तुझ अकेले में जिग़र नहीं।

~ अमित वाल्मीकि 

Monday 6 October 2014

Ab Desh 'Modi' Ke Haath hai

'मंगल' किया अपने नाम,
अब तरक्क़ी पर विज्ञान है।
यहां हर इंसान के दामन ,
सुख, समृद्धि और आराम है।
यतीम को घर, गरीब को शिक्षा ,
यही एक बकाया काम है।
महाराष्ट्र, गुजरात, बंगाल आदि,
एक साथ चल रही आवाम है।
इन् दिनों हर दिल यह कहता है.....
अब हिन्दुस्तान में भी है कुछ बात है
अब देश 'मोदी' के हाथ है।


हर घर के आँगन में,
ख़ुशियों की भरमार है।
और गरीब से गरीब दुल्हन की कलाई में,
कंगन की झंकार है।
गांधीजी का मार्ग मॉडर्न भारत में,
अब तलाक बरकरार है।
और भ्रष्ट नेता सभी इस देश के,
अपने कर्मोँ से शर्मशार हैं।
हिन्दुस्तान ! हिन्दुस्तान ! का नारा,
अब हर मज़हब हर जात है।
अब देश 'मोदी' के हाथ है।


कोई ज़मीन बंज़र नहीं,
हर खेत अब अनाज है।
घर-घर सम्पन्नता रहे,
खुश हर किसान है।
हर चेहरे पर मुस्कान सजी है,
हर दिल इक़ उम्मीद जागी है।
अबकी बार हर इंसान के लिए है दिवाली
माटी के दिए से रोशन हर रात है
अब देश 'मोदी' के हाथ है।

 
रेडियो के ज़रिये आवाहन करते हैं,
अपने दिल की बात सबसे कहते हैं।
बस एक तम्मन्ना है 'मोदीजी' की ,
आओ भारत वासी सब मिलके रहते हैं।
सब तासीर है इनके ज्ञान-ओ-इल्म की,
के हर समस्या का हल तफ़्सीर करते हैं।
नए भारत का एक नया जनम हो रहा है,
अब बढ़ने का हौसला हर इंसान के साथ है,
अब देश 'मोदी' के हाथ है।
अब देश 'मोदी' के हाथ है।

लेखक : अमित वाल्मीकि

(सर्वाधिकार सुरक्षित)



   

Saturday 4 October 2014

#Khwaab_Series (Post 1)

Raat na guzre toh hi behtar hai,
Neend na toote toh hi behtar hai.
Haath thame khwaab ka tum paas aaye ho,
Ab khwaab na toote toh hi behtar hai.

- Amit Valmiki

रात ना गुज़रे तो ही बेहतर है
ये नींद ना टूटे तो ही बेहतर है
हाथ थामे ख़्वाबों का तुम पास आयी हो
ये ख़्वाब ना छूटे तो ही बेहतर है

~ अमित वाल्मीकि 

Thursday 2 October 2014

Gandhi Ji Ke Janam Din Par

अंग्रेज़ों से आज़ाद कराके चल दिए देश को
लेकिन 'बापू' अब अपनों से खतरा है देश को।