Meri zubaan pe hai jo, woh lafz hai tera
Aye khuda meri ghazal ka har harf hai tera.

Saturday 7 February 2015

A Fainted-Rose Day

एक रोज़ मुझे भी किसी ने ROSE दिया था,
ROSE में भरके प्यार का DOSE दिया था।

Rose लेते वक़्त चुभा था काँटा मेरे हाथ में,
मैं कुदरत का वो इशारा जान ना सका।
इस ख़ुशी के बाद होगा दर्द का आलम बड़ा,
ख़ुशी में मसरूफ़ में संदेसा जान ना सका।
उलझी हुई पंखुड़ियाँ मुझसे कह रही थी,
प्यार में एक दिन उलझ जाएगा रे तू बन्दे।
और मैं नामाकूल सिर्फ गुलाब की महेक लेता रहा....

पंखुड़ी वैसी ही उलझी रही एक बेनाम सी उलझन में
और महक को ले गयी हवा संग अपने।
क्या बचा Rose में? मुरझा गया वह कुछ ही रोज़ में।
मेरा प्यार भी Rose की तरह ही तो था,
न महक रही न मीठास रही उसमे
बस उलझी हुई एक दास्ताँ रह गयी।

एक रोज़ मुझे भी किसी ने Rose दिया था.......

Written And Owned By
Amit Valmiki

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