Meri zubaan pe hai jo, woh lafz hai tera
Aye khuda meri ghazal ka har harf hai tera.

Monday 16 September 2013



मैने तेरे दिल से कहा शुक्रिया,
मेरे दिल को दर्द देने के लिये.


युन तन्हा रेह्ना किसे पसन्द है?
मै तो जी रह हू बस मुकद्दर के लिये.


अपना बनाके छोड दिया गैरो कि तरह,
मै वफा निभा रहा खुद के लिये.


तुझे भुलाना अब मुम्कीन् कहान है,
बस भुला रहा हू मै तेरे ही लिये.

कवि
अमित वाल्मिकि

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